बरसात का मौसम जहां धरती को हरियाली से ढक देता है, वहीं यह मौसम पक्षियों, खासकर कबूतरों (Pigeons) के लिए कई तरह की बीमारियाँ भी साथ लाता है। नमी, गंदगी और ठंडक की वजह से कबूतर जल्दी बीमार पड़ सकते हैं। अगर आप कबूतर पालते हैं या ब्रीडिंग करते हैं, तो आपको यह जरूर जानना चाहिए कि बारिश के मौसम में कबूतरों में कौन-कौन सी बीमारियाँ होती हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

 बारिश में कबूतरों को होने वाली आम बीमारियाँ

कोल्ड और रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (सर्दी और सांस की बीमारी)

कारण: ठंडी हवा, भीग जाना, नमी वाली जगह में रहना।
लक्षण:

  • छींक आना

  • सांस लेने में तकलीफ

  • आंख और नाक से पानी आना

  • आवाज में खराश

बचाव:

  • कबूतरों को सूखी और गर्म जगह पर रखें।

  • पिंजरे में नमी न होने दें।

  • गर्म पानी में हल्का तुलसी या हल्दी का अर्क मिलाकर दें (पक्षियों के लिए सुरक्षित हो तो)।

कैनकर (Canker) या ट्राइकोमोनियासिस

कारण: ट्राइकोमोनास नामक परजीवी से होता है। यह गंदे पानी या संक्रमित कबूतरों के संपर्क से फैलता है।
लक्षण:

  • गले में पीला-सफेद फोड़ा

  • खाना न खाना

  • मुंह से दुर्गंध आना

  • कमजोरी

बचाव:

  • पीने का पानी रोज बदलें।

  • संक्रमित कबूतर को अलग रखें।

  • डॉक्टर से एंटी-पैरासाइट दवा लें।

कोक्सीडियासिस (Coccidiosis)

कारण: गंदगी, नमी और गीले बिछावन में रहने से पेट में परजीवी संक्रमण हो जाता है।
लक्षण:

  • पतला या खून मिला मल

  • सुस्ती

  • वजन कम होना

  • भूख न लगना

बचाव:

  • सफाई पर विशेष ध्यान दें।

  • समय-समय पर दवाएं दें।

  • पिंजरे में सुखा और साफ बिछावन रखें।

फंगल इन्फेक्शन (Aspergillosis)

कारण: सीलन, गंदगी, और फफूंद लगे दाने या बिछावन से।
लक्षण:

  • सांस की तकलीफ

  • आंखों में पानी

  • पंख झड़ना

  • बहुत अधिक थकान

बचाव:

  • दानों को सूखा और साफ रखें।

  • पिंजरे को खुला और हवादार रखें।

  • जरूरत पड़े तो एंटीफंगल दवा दें (पक्षी विशेषज्ञ से सलाह लें)।

सैल्यूलाइटिस या स्किन इंफेक्शन

कारण: गीले पंख और गंदे वातावरण में बैक्टीरिया पनप जाते हैं।
लक्षण:

  • पंखों के नीचे लालपन

  • फोड़े या सूजन

  • खुजली

बचाव:

  • समय-समय पर कबूतरों को धूप में बैठने दें।

  • नहाने के बाद पंख सूखने दें।

  • संक्रमण दिखे तो डॉक्टर से सलाह लें।

 कबूतरों को बीमारियों से बचाने के उपाय:

  • रोज़ाना साफ़ पानी और ताजा दाना दें।

  • घोंसले और पिंजरे की सफाई नियमित रूप से करें।

  • कबूतरों को बारिश से भीगने न दें।

  • हर 15-20 दिन में प्रिवेंटिव मेडिसिन दें (वेट से सलाह लेकर)।

  • बीमार कबूतरों को अलग रखें, ताकि दूसरों में बीमारी न फैले।

  • सूरज की रोशनी में थोड़ी देर बैठाना फायदेमंद होता है।

निष्कर्ष

बारिश के मौसम में कबूतरों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि यह मौसम उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। साफ-सफाई, सही आहार और समय पर इलाज से आप अपने कबूतरों को स्वस्थ और सुरक्षित रख सकते हैं। याद रखें – जितनी देखभाल, उतनी अच्छी ब्रीडिंग और लंबी उम्र