Importance of Deworming in Birds:पक्षियों की सेहत और लंबी उम्र के लिए उनकी आंतरिक सफाई, विशेषकर कृमियों (worms) से मुक्ति अत्यंत आवश्यक है। जैसे इंसानों और पालतू जानवरों में कीड़े हो सकते हैं, वैसे ही पक्षियों में भी आंतों में परजीवी कृमि पनप सकते हैं। ये कृमि पक्षियों की सेहत को धीरे-धीरे खराब कर सकते हैं, जिससे वजन घटना, अंडों की संख्या कम होना, सुस्ती और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

डीवॉर्मिंग क्या है?

डीवॉर्मिंग का मतलब है शरीर से परजीवी कृमियों को निकालना। इसके लिए विशेष दवाइयों का उपयोग किया जाता है जिन्हें एंटीहेल्मिन्थिक कहा जाता है।

पक्षियों में कृमि संक्रमण के लक्षण:

  • वजन कम होना
  • भूख न लगना या अधिक लगना
  • पंखों की चमक कम हो जाना
  • सुस्ती और अधिक नींद
  • मल में कृमियों का दिखना
  • बार-बार बीमार पड़ना

डीवॉर्मिंग की समय-सीमा:

  • पालतू पक्षी (जैसे तोता, कॉकटेल, बजरीगर): हर 6 महीने में एक बार
  • मुर्गियां और अन्य पोल्ट्री पक्षी: हर 3-4 महीने में एक बार
  • नवजात पक्षी (chicks): 4-6 सप्ताह की उम्र के बाद पहली बार डीवॉर्मिंग

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डीवॉर्मिंग के बाद क्या करें?

  • पक्षियों को साफ और ताजा पानी दें
  • उनके पिंजरे और आस-पास का क्षेत्र साफ करें
  • 2-3 दिनों तक हल्का भोजन दें
  • संक्रमण से बचाव के लिए बाकी पक्षियों की भी जांच कराएं

सावधानियाँ

  • ओवरडोज (अधिक मात्रा) से बचें – इससे विषाक्तता हो सकती है
  • बीमार पक्षियों को डीवॉर्मिंग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें
  • दवा मिलाने के बाद पानी जल्दी-जल्दी बदलें

पक्षियों की अच्छी सेहत और उनके जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए डीवॉर्मिंग एक आवश्यक प्रक्रिया है। नियमित रूप से और सही तरीके से कृमिनाशन कराकर आप अपने पालतू पक्षियों को एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन दे सकते हैं।

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