साइटाकोसिस (Psittacosis), जिसे आमतौर पर “तोता बुखार” या “पक्षियों का फ्लू” कहा जाता है, एक संक्रामक रोग है जो Chlamydia psittaci नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग मुख्यतः तोते, कबूतर, मैना, तोता-प्रजाति के अन्य पक्षियों और कभी-कभी मुर्गियों में भी पाया जाता है। यह रोग केवल पक्षियों तक ही सीमित नहीं है – यह मानवों में भी फैल सकता है, इसलिए इसे एक ज़ूनोटिक रोग (Zoonotic disease) माना जाता है।

रोग का कारण:

  • यह रोग Chlamydia psittaci नामक एक ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया के कारण होता है।

  • यह बैक्टीरिया संक्रमित पक्षियों की बीट (मल), पंख, लार, और सांस के माध्यम से फैल सकता है।

  • यह बैक्टीरिया सूखे मल या धूल में जीवित रह सकता है और हवा के जरिए अन्य पक्षियों को संक्रमित कर सकता है।

लक्षण (Symptoms in Birds):

पक्षियों में साइटाकोसिस के लक्षण कई बार स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं:

  • सुस्ती और कमज़ोरी

  • पंख फुलाकर बैठना

  • भूख में कमी

  • वजन घटाना

  • आंखों या नाक से पानी आना (डिस्चार्ज)

  • हरा या पीला दस्त

  • सांस लेने में तकलीफ

  • मृत्यु (कभी-कभी अचानक)

संक्रमण का फैलाव:

  • यह रोग सीधा संपर्क, संक्रमित पिंजरे, खान-पान के बर्तन, या संक्रमित हवा के माध्यम से फैलता है।

  • पक्षी व्यापार, प्रदर्शनी, या शौक के रूप में रखे गए पक्षियों से यह बीमारी तेज़ी से फैल सकती है।

मानवों में संक्रमण:

मानवों में यह संक्रमण फेफड़ों में गंभीर संक्रमण (निमोनिया) का रूप ले सकता है। लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, ठंड लगना, और सांस फूलना शामिल हैं। इससे बचाव के लिए पक्षियों की देखभाल करते समय सावधानी आवश्यक है।

निदान (Diagnosis):

  • पशु चिकित्सक पक्षियों के मल, खून, और अन्य शारीरिक नमूनों की जांच करके इस रोग का पता लगाते हैं।

  • PCR टेस्ट और सीरोलॉजी टेस्ट सबसे सामान्य विधियाँ हैं।

उपचार (Treatment):

  • इस रोग का इलाज संभव है। एंटीबायोटिक्स, खासकर डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) या टेट्रासाइक्लिन (Tetracycline) का उपयोग किया जाता है।

  • उपचार अवधि लंबी हो सकती है (20–45 दिन), जिससे बैक्टीरिया पूरी तरह समाप्त हो सके।

रोकथाम (Prevention):

  1. पक्षियों के पिंजरे और बर्तन की नियमित सफाई करें।

  2. बीमार पक्षियों को तुरंत अलग करें और डॉक्टर को दिखाएँ।

  3. बीट और धूल से बचने के लिए मास्क और दस्ताने पहनें।

  4. नए पक्षियों को घर लाने से पहले क्वारंटीन करें।

  5. संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने के बाद हाथ धोना न भूलें।