कबूतर पालने का शौक कई लोगों को होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सुंदर पक्षी एक खतरनाक बीमारी के वाहक भी बन सकते हैं? कबूतरों में ऑर्निथोसिस (Ornithosis) या प्सिटाकोसिस (Psittacosis) एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है, जो न केवल पक्षियों के लिए बल्कि इंसानों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।

ऑर्निथोसिस क्या है?

ऑर्निथोसिस एक संक्रामक बीमारी है जो Chlamydia psittaci नामक बैक्टीरिया से होती है। यह मुख्य रूप से कबूतर, तोता, फिंच, और अन्य पक्षियों को प्रभावित करती है। संक्रमित पक्षी अपनी लार, मल, या सांस के ज़रिए इस बैक्टीरिया को फैलाते हैं।

कबूतरों में ऑर्निथोसिस के लक्षण

शुरुआत में इसके लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा भी बन सकती है।
मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • सुस्ती या कमजोरी महसूस होना

  • पंख फूला हुआ रखना

  • भूख न लगना

  • आँखों और नाक से पानी या मवाद निकलना

  • साँस लेने में कठिनाई

  • दस्त (हरी या पीली बीट)

  • वजन में कमी

 यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है!

ऑर्निथोसिस ज़ूनोटिक (Zoonotic) बीमारी है यानी यह जानवरों से इंसानों में फैल सकती है
अगर कोई व्यक्ति संक्रमित कबूतर के मल, पंखों की धूल या स्राव के संपर्क में आता है तो उसे बुखार, सिरदर्द, खांसी, और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं। गंभीर मामलों में न्यूमोनिया (Pneumonia) भी हो सकता है।

इलाज (Treatment)

  • पशु चिकित्सक के निर्देश पर एंटीबायोटिक दवाओं (जैसे टेट्रासाइक्लिन या डॉक्सीसाइक्लिन) का कोर्स दिया जाता है।

  • संक्रमित पक्षियों को अन्य स्वस्थ कबूतरों से अलग रखें।

  • उनके पिंजरे और आसपास की जगह को डिसइंफेक्टेंट से साफ करें।

  • गंदे पानी और खाने से बचाव करें।

 बचाव के उपाय (Prevention Tips)

  • कबूतरों के पिंजरे रोजाना साफ करें।

  • बीमार पक्षियों को तुरंत अलग करें।

  • हाथ धोए बिना पक्षियों को छूने या खाना खाने से बचें।

  • कबूतरों की भीड़ वाले क्षेत्रों में लंबे समय तक न रुकें।

  • नियमित रूप से पक्षियों की हेल्थ चेकअप करवाएं।

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