Feral Pigeon:जो कबूतर ले जाते थे चिठ्ठी, जानें इनके बारे में कुछ अनसुनी बातें
Feral Pigeon:जंगली कबूतर, जिन्हें “फेरल पिजन” (Feral Pigeon) कहा जाता है, हमारे शहरों और गांवों में आम तौर पर दिखाई देने वाले कबूतर होते हैं। ये वही कबूतर हैं जिन्हें हम मंदिरों, रेलवे स्टेशन, छतों और पार्कों में दाना चुगते हुए देखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन साधारण दिखने वाले पक्षियों के बारे में कई रोचक और चौंकाने वाले तथ्य भी हैं? आइए जानते हैं।
जंगली कबूतर के बारे में रोचक तथ्य:
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पालतू से जंगली बने:
फेरल कबूतर असल में पालतू कबूतरों की संतान हैं, जो उड़कर जंगलों या खुले इलाकों में रहने लगे। समय के साथ ये पूरी तरह से जंगली जीवन के अनुसार ढल गए। -
बेहद तेज़ी से रास्ता पहचानते हैं:
जंगली कबूतरों की दिशा पहचानने की क्षमता बेहद शानदार होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और सूरज की दिशा से रास्ता पहचान सकते हैं। -
संदेश वाहक का काम:
पुराने समय में इन्हीं कबूतरों का उपयोग संदेश भेजने के लिए किया जाता था। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भी कबूतरों ने महत्वपूर्ण संदेश पहुँचाए थे। -
तेज़ उड़ान क्षमता:
फेरल कबूतर एक घंटे में लगभग 60 से 80 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं। कुछ विशेष नस्लों के कबूतर 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार तक पहुँच सकते हैं। -
हर मौसम में प्रजनन:
जंगली कबूतर साल भर अंडे दे सकते हैं। एक मादा कबूतर साल में 5 से 6 बार अंडे देती है और हर बार 2 अंडे ही देती है। -
शहरों के लिए अनुकूलित:
ये कबूतर शहरों की ऊँची इमारतों, पुलों और छतों पर अपने घोंसले बनाते हैं क्योंकि ये उन्हें चट्टानों जैसा लगता है, जहाँ उनके पूर्वज रहा करते थे। -
एक ही साथी के साथ जीवनभर:
फेरल कबूतर जीवनभर एक ही जोड़ी के साथ रहते हैं और मिलकर अंडों की देखभाल करते हैं। -
मानवों से नहीं डरते:
यह पक्षी इंसानों के बहुत करीब रहना पसंद करता है। यही कारण है कि ये बिना डरे रेलवे स्टेशन, मंदिरों, बाजारों आदि में घूमते दिखाई देते हैं।
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