भारतीय पक्षियों की विविधता में एक बेहद खूबसूरत और शांत स्वभाव वाला पक्षी है  भारतीय स्पॉट-बिल्ड कबूतर (Indian Spot-billed Pigeon)। इसे हिंदी में ‘छित्तीदार चोंच वाला कबूतर’ भी कहा जाता है। यह कबूतर न सिर्फ अपने आकर्षक रंगों के कारण जाना जाता है, बल्कि इसकी शांत प्रकृति और खास आवाज भी इसे अन्य कबूतरों से अलग बनाती है।चलिए जानते हैं इस खास पक्षी के बारे में कुछ दिलचस्प और महत्वपूर्ण बातें।

 1. पहचान और रूप-रंग

  • इसका शरीर सामान्य कबूतरों जैसा ही होता है लेकिन इसकी चोंच के किनारों पर पीले रंग के निशान (spot) होते हैं, जिससे इसे “स्पॉट-बिल्ड” कहा जाता है।

  • इसकी गर्दन पर हरे और बैंगनी रंग की झलक होती है।

  • पंखों पर काले रंग के साथ सफेद धब्बे भी दिखते हैं, जो उड़ते समय बेहद सुंदर लगते हैं।

 2. आवास (Habitat)

  • यह कबूतर भारत, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में पाया जाता है।

  • आमतौर पर इसे तालाबों, झीलों, खेतों और पेड़-पौधों वाले इलाकों में देखा जा सकता है।

  • ये पक्षी शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में सहजता से रह सकते हैं।

 3. आहार (Diet)

  • स्पॉट-बिल्ड कबूतर मुख्यतः बीज, अनाज, छोटे फल और हरी पत्तियों को खाते हैं।

  • कई बार खेतों में भी इन्हें दाना चुगते हुए देखा गया है।

  • यह पक्षी पानी के बहुत शौकीन होते हैं और अक्सर झीलों के किनारे देखे जाते हैं।

4. प्रजनन (Breeding)

  • यह कबूतर साल में दो बार प्रजनन कर सकता है – एक बार गर्मियों में और दूसरी बार मानसून के दौरान।

  • यह पेड़ों की शाखाओं या ऊँचे स्थानों पर घोंसला बनाता है।

  • मादा एक बार में दो अंडे देती है, जिनसे लगभग 17-18 दिन में बच्चे निकल आते हैं।

 5. आवाज और व्यवहार

  • इस कबूतर की आवाज सामान्य कबूतरों से थोड़ी अलग होती है – एक धीमी और गहरी “कू-कू-कू” जैसी ध्वनि।

  • यह पक्षी आमतौर पर जोड़े में या छोटे झुंडों में देखे जाते हैं।

  • इनका स्वभाव शांत और शर्मीला होता है।

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6. संरक्षण स्थिति

  • भारतीय स्पॉट-बिल्ड कबूतर की संख्या स्थिर है और इसे IUCN द्वारा Least Concern श्रेणी में रखा गया है।

  • फिर भी बढ़ते शहरीकरण और पेड़ों की कटाई के कारण इनके प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुँच रहा है।

रोचक तथ्य

  • स्पॉट-बिल्ड कबूतर को कई बार आम कबूतर समझ लिया जाता है, लेकिन इसकी चोंच और गर्दन की चमकदार आभा इसे अलग पहचान देती है।

  • यह पक्षी प्राचीन भारतीय चित्रकला और लोककथाओं में भी उल्लेखित रहा है।

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