किन पक्षियों को होता है पॉलीओमावायरस का सबसे ज्यादा खतरा, जानें लक्षण और बचाव के उपाय
Polyomavirus:पक्षियों की दुनिया रंग-बिरंगी, चहचहाहट से भरी होती है, लेकिन इसी खूबसूरत दुनिया में एक अदृश्य खतरा भी छिपा होता है जो है पॉलीओमावायरस । यह वायरस खासकर पालतू पक्षियों, विशेषकर तोते (Parrots), कॉकटेल (Cockatiels), मैकॉ (Macaws), और बजरीगर (Budgerigars) को अपनी चपेट में लेता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।
क्या है पॉलीओमावायरस?
पॉलीओमावायरस एक DNA वायरस है, जो पक्षियों के शरीर में घुसकर उनकी कोशिकाओं को संक्रमित करता है। यह खासकर युवा या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले पक्षियों को जल्दी शिकार बनाता है। यह वायरस Budgerigar fledgling disease virus (BFDV) के नाम से भी जाना जाता है।
किन पक्षियों को होता है ज़्यादा खतरा?
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बजरीगर (Budgerigars)
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लवबर्ड्स (Lovebirds)
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कोकटेल (Cockatiels)
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मैकॉ (Macaws)
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अफ्रीकन ग्रे (African Grey Parrots)
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कानेयूर (Conures)
लक्षण
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पंखों का असामान्य विकास या गिरना
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वजन कम होना
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सुस्ती और खाने में अरुचि
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सांस लेने में दिक्कत
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अचानक मृत्यु (विशेषकर बच्चों में)
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पेट फूलना और दस्त
नोट: कुछ मामलों में लक्षण दिखने से पहले ही पक्षी की मृत्यु हो सकती है।
कैसे फैलता है यह वायरस?
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संक्रमित पक्षी के संपर्क से
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मल (stool), लार, या पंखों के माध्यम से
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दूषित खाना, पानी, या पिंजरे से
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अंडों के माध्यम से माता से बच्चे में
निदान
पॉलीओमावायरस का पता लगाने के लिए वेटरनरी डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित जांच की जाती है:
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PCR टेस्ट (Polymerase Chain Reaction)
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खून की जांच
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पोस्टमॉर्टम (मृत पक्षी में)
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इलाज
दुख की बात यह है कि पॉलीओमावायरस का कोई विशेष इलाज नहीं है। केवल supportive care दी जा सकती है:
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पोषण युक्त खाना
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साफ-सुथरा वातावरण
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संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबायोटिक सपोर्ट
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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स
बचाव
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नए पक्षियों को पुराने पक्षियों से दूर रखें (Quarantine कम से कम 30 दिन)
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पिंजरे की सफाई नियमित करें
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संक्रमित पक्षी को तुरंत अलग करें
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मल-मूत्र की सफाई के बाद हाथ धोना न भूलें
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विश्वसनीय ब्रीडर से ही पक्षी खरीदें
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वैक्सीन की सुविधा कुछ देशों में उपलब्ध है – वेट से सलाह लें
पॉलीओमावायरस पक्षियों के लिए एक गंभीर बीमारी है, जो कई बार बिना चेतावनी के जानलेवा साबित हो सकती है। यदि आप पक्षी प्रेमी हैं, तो इस वायरस के बारे में जागरूक रहना और आवश्यक सावधानियाँ अपनाना बेहद ज़रूरी है। याद रखें, “सावधानी ही सुरक्षा है।”
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