जानें कैसे पक्षियों में परजीवी बनते हैं बीमारी का कारण
Parasites in birds:पक्षी हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लेकिन इंसानों की तरह, पक्षी भी कई प्रकार के परजीवियों और उनसे जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। ये परजीवी न केवल पक्षियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि कभी-कभी ये बीमारियाँ इंसानों और अन्य जानवरों में भी फैल सकती हैं। इसलिए इन परजीवियों और बीमारियों की पहचान और नियंत्रण बेहद जरूरी है।
पक्षियों में पाए जाने वाले प्रमुख परजीवी
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बाह्य परजीवी (External Parasites):
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जूँ (Lice): ये परजीवी पक्षियों के पंखों और त्वचा में पाए जाते हैं। यह पंखों को नुकसान पहुँचा सकते हैं और खुजली पैदा करते हैं।
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किलनी (Mites): किलनी त्वचा पर काटने और खून चूसने का कार्य करती हैं, जिससे पक्षियों में कमजोरी आ सकती है।
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टिक्स (Ticks): यह खून चूसने वाले परजीवी होते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों को फैलाते हैं।
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आंतरिक परजीवी (Internal Parasites):
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गोल कृमि (Roundworms): यह पक्षियों की आँतों में पाए जाते हैं और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं।
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फीताकृमि (Tapeworms): ये पक्षियों की ऊर्जा और पोषण को चूसते हैं, जिससे वजन कम हो सकता है।
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कॉक्सिडिया (Coccidia): यह एक प्रकार का सूक्ष्म परजीवी है जो आंतों में संक्रमण पैदा करता है और दस्त का कारण बनता है।
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परजीवियों से होने वाली सामान्य बीमारियाँ
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कॉक्सिडियोसिस (Coccidiosis):
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यह एक गंभीर आंतों की बीमारी है जो अक्सर दूषित भोजन या पानी से फैलती है।
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लक्षण: दस्त, कमजोरी, वजन कम होना।
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एवियन माइट डर्माटाइटिस (Avian Mite Dermatitis):
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किलनी द्वारा काटने से त्वचा में जलन और संक्रमण हो सकता है।
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हिस्टोमोनियासिस (Histomoniasis) या ब्लैकहेड डिज़ीज़:
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यह टर्की और मुर्गियों में आम है, जो एक प्रकार के परजीवी से होती है।
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परजीवी नियंत्रण के उपाय
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साफ-सफाई: पक्षियों के रहने की जगह को नियमित रूप से साफ करें।
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दवा और टीकाकरण: पशु चिकित्सक की सलाह अनुसार नियमित रूप से परजीवी-रोधी दवाएँ दें।
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भोजन और पानी की स्वच्छता: साफ पानी और स्वच्छ भोजन प्रदान करें।
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नई पक्षियों की जांच: किसी भी नए पक्षी को अन्य पक्षियों के साथ मिलाने से पहले उसका निरीक्षण करें।
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