Parrot disease in rainy season: बरसात का मौसम जहां हरियाली और ठंडक लेकर आता है, वहीं यह मौसम पालतू पक्षियों, खासकर तोतों के लिए कई बीमारियों का कारण बन सकता है। नमी, तापमान में बदलाव और वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया व फंगस इन पक्षियों की सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि बरसात के मौसम में तोतों को कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती हैं, उनके लक्षण, बचाव के उपाय और उपचार।

 बरसात में तोतों को होने वाली सामान्य बीमारियाँ

  1. श्वसन तंत्र संक्रमण (Respiratory Infection):
    नमी भरे वातावरण में तोतों को सर्दी, खांसी और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

    लक्षण: छींक आना, सीटी जैसी आवाज़ के साथ सांस लेना, कम खाना।

  2. फंगल इंफेक्शन (Aspergillosis):
    यह फंगल संक्रमण गीले और गंदे पिंजरे में जल्दी फैलता है।

    लक्षण: सुस्ती, सांस फूलना, वजन कम होना।

  3. फेदर पिकिंग (Feather Plucking):
    अत्यधिक नमी या असुविधा के कारण तोते अपने पंख नोचने लगते हैं।

    लक्षण: पंख झड़ना, बार-बार पंखों को चबाना।

  4. डायरिया (दस्त):
    असंतुलित आहार और गंदा पानी बरसात में दस्त की बड़ी वजह बनते हैं।

    लक्षण: पतला मल, गंदे पंख, कमजोरी।

  5. माइट्स और परजीवी (Parasites):
    गीले वातावरण में माइट्स या जूं जैसे परजीवी तोते की त्वचा पर हमला कर सकते हैं।

    लक्षण: खुजली, त्वचा पर घाव, बेचैनी।

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 बचाव के उपाय

  • तोते का पिंजरा हमेशा साफ़ और सूखा रखें।

  • नमी से बचाने के लिए पिंजरे के पास कपूर या नेफ्थलीन बॉल रखें (तोते की पहुँच से दूर रखें)।

  • साफ और ताजा पानी दिन में दो बार दें।

  • तोते को ठंडी हवा या सीधे पंखे के नीचे न रखें।

  • विटामिन और मिनरल युक्त आहार दें।

  • नियमित रूप से पिंजरे को धूप में रखें ताकि बैक्टीरिया न पनपें।

इलाज और देखभाल

  • किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत बर्ड वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क करें।

  • घरेलू नुस्खों से बचें, क्योंकि तोते का शरीर संवेदनशील होता है।

  • दवा के साथ-साथ तोते को प्यार और आराम भी दें ताकि उसका मानसिक तनाव कम हो।

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