Salmonella Disease in birds: साल्मोनेला एक खतरनाक बैक्टीरियल संक्रमण है जो न केवल इंसानों बल्कि पक्षियों को भी प्रभावित करता है। यह रोग मुख्य रूप से Salmonella नामक बैक्टीरिया के कारण होता है और पक्षियों में यह बीमारी तेजी से फैल सकती है, खासकर यदि वे समूह में रहते हों जैसे कबूतर, मुर्गियाँ, तोते आदि।

साल्मोनेला कैसे फैलता है?

साल्मोनेला बैक्टीरिया आमतौर पर दूषित भोजन, गंदे पानी, या संक्रमित पक्षियों के मल के संपर्क में आने से फैलता है। अगर कोई पक्षी इस बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाता है, तो वह अपने मल के ज़रिए बाकी पक्षियों को भी संक्रमित कर सकता है।

लक्षण

पक्षियों में साल्मोनेला संक्रमण के लक्षण बहुत गंभीर हो सकते हैं। इसमें शामिल हैं:

  • सुस्ती और कमज़ोरी

  • खाने में रुचि न लेना

  • पानी ज्यादा पीना

  • पंख फूले हुए लगना

  • पतला और बदबूदार दस्त (डायरिया)

  • वजन में गिरावट

  • तंत्रिका तंत्र पर असर (जैसे गर्दन टेढ़ी होना या संतुलन खोना)

कभी-कभी यह संक्रमण बिना किसी साफ लक्षण के भी हो सकता है, लेकिन फिर भी वह पक्षी दूसरे को संक्रमित कर सकता है।

किन पक्षियों में ज्यादा खतरा?

  • कबूतर

  • तोते

  • मुर्गियाँ और पोल्ट्री पक्षी

  • बटेर और बत्तखें

ये सभी पक्षी अगर साफ-सफाई का ध्यान न रखा जाए तो जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।

जांच और इलाज

अगर किसी पक्षी में साल्मोनेला के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क करें। मल की जांच या रक्त परीक्षण से इसका पता लगाया जा सकता है।

इलाज में शामिल हैं:

  • एंटीबायोटिक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से ही दें)

  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान

  • संक्रमित पक्षी को अलग रखना (Isolation)

  • पोषण युक्त आहार देना ताकि पक्षी की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े

रोकथाम (Prevention)

  • पक्षियों के पिंजरे और भोजन-पानी की जगह को नियमित रूप से साफ करें।

  • गंदे और बासी भोजन को तुरंत हटा दें।

  • नए पक्षियों को ग्रुप में लाने से पहले कुछ दिन अलग रखें और स्वास्थ्य की जांच करवा लें।

  • अगर एक पक्षी बीमार हो, तो उसे तुरंत अलग कर दें।

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